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यमुना की बदहाली पर भाजपा विधायकों का हंगामा, मुख्य सचिव को निलंबित करने की मांग

विधानसभा में बुधवार को यमुना की सफाई नहीं होने और निरंतर गंदा पानी गिराए जाने के मुद्दे पर दो बार भाजपा विधायकों ने हंगामा किया। भाजपा विधायक जितेंद्र महाजन की ओर से यमुना की दुर्दशा पर नियम 280 के तहत चर्चा करने के दौरान व यमुना की स्थिति पर नियम 54 के तहत चर्चा नहीं कराने के विरोध में भाजपा विधायकों ने हंगामा किया। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने भाजपा के छह विधायकों को मार्शल के जरिये सदन से बाहर निकलवा दिया।

सदन में 280 नियम के तहत चर्चा में भाग लेते हुए महाजन ने कहा कि यमुना का पानी आठ साल में 200 प्रतिशत ज्यादा प्रदूषित हो गया है। यही पानी जनता को सप्लाई किया जा रहा है। इससे लोग कैंसर, किडनी, लीवर, फेफड़े और पेट की गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। केंद्र सरकार ने यमुना की सफाई के लिए दिल्ली सरकार को 2500 करोड़ रुपये दिए, जिसका दिल्ली सरकार कोई हिसाब नहीं दे रही।

उनके इस तर्क का आप विधायकों के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष ने विरोध किया। इस कारण सदन में कुछ देर तक हंगामा चलता रहा। विधानसभा अध्यक्ष ने उनसेे पूछा कि आखिर केंद्र सरकार ने 2500 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार को कब दिए। इस बारे में कुछ देर बाद नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने जानकारी दी।

दूषित पानी से भरी बोतल सौंपी
सदन में नियम 280 के तहत चर्चा होने और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की ओर से कुछ विधेयक प्रस्तुत करने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने एमसीडी के महापौर का चुनाव नहीं होने पर चर्चा करानी शुरू की। इस दौरान भाजपा विधायकों ने नियम 54 के तहत चर्चा कराने की मांग की, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने इंकार कर दिया। उनके निर्णय के विरोध में भाजपा विधायक यमुना के दूषित पानी से भरी बोतल लेकर आसन के समक्ष आए और बोतल सौंप दी। उन्होंने कहा कि यमुना का पानी तेजाब में तब्दील होे चुका है। इस बीच विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वह इस पानी की जांच कराएंगे।

दावा : उपराज्यपाल के कहने पर ठप हुईं स्वास्थ्य सेवाएं
विधानसभा की याचिका समिति का दावा है कि उपराज्यपाल के कहने पर अधिकारियों ने स्वास्थ्य सेवाओं को ठप किया। स्वास्थ्य सुविधा को लेकर समिति ने विस्तृत जांच की। जांच के दौरान सरकारी विभाग की प्रतिक्रिया और अधिकारियों के बयानों, सरकारी अभिलेखों और समिति की बैठकों के विचार-विमर्श के आधार पर कई टिप्पणियां की हैं।

समिति ने बुधवार को सदन के समक्ष ‘दिल्ली सरकार के अस्पतालों में उपराज्यपाल के आदेश पर ओपीडी काउंटरों के कामकाज में गड़बड़ करने’ शीर्षक से एक रिपोर्ट पेश की। इसमें कहा गया कि नौकरशाही बाधक रही। इनके कारण दिल्ली के अस्पतालों की ओपीडी काउंटर में डाटा एंट्री ऑपरेटरों के लिए निविदाओं के आमंत्रण के लिए अनुमोदन देने में अत्यधिक देरी हुई। साथ ही चिकित्सा सेवाओं की जरूरत वाले लोगों पर इसका असर पड़ा।

वित्त विभाग द्वारा निविदा आमंत्रित करने में हुई देरी के कारण अस्पतालों में काफी अफरा-तफरी मच गई, जिससे लाखों गरीब मरीजों को चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पाई। इसकी जानकारी देते हुए विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ओपीडी काउंटर मरीजों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, मुख्यमंत्री की छवि खराब करने के लिए एमसीडी चुनाव से पहले सिस्टम से जानबूझकर छेड़छाड़ की गई। स्वास्थ्य और वित्त सचिवों ने एक दूसरे के बीच फाइलों को स्थानांतरित किया, एक जनशक्ति अध्ययन का आदेश दिया और ओपीडी काउंटर कर्मचारियों को अचानक हटा दिया गया।

समिति ने भारत के राष्ट्रपति और केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वे इस मामले पर संज्ञान लें और एलजी और मुख्य सचिव के खिलाफ उचित कार्रवाई करें। प्रोजेक्ट्स को पटरी से उतारने में मुख्य सचिव की भूमिका जांच के दायरे में है। उन्हें 30 दिनों में समिति की सिफारिशों पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

मुख्य सचिव को निलंबित करने की मांग
विधानसभा में दोपहर बाद आम आदमी पार्टी के विधायकों ने दिल्ली सरकार के कामकाज में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए मुख्य सचिव, वित्त सचिव और स्वास्थ्य सचिव को निलंबित करने की मांग करते हुए जमकर हंगामा किया। इस कारण विधानसभा अध्यक्ष को 10 मिनट तक बैठक स्थगित करनी पड़ी। हालांकि, दोबारा बैठक शुरू होने पर भी आप विधायक हंगामा करने लग गए। आप के विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि विभिन्न परियोजनाओं के अटकने को लेकर याचिका समिति ने दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को तलब किया था। मुख्य सचिव को मंगलवार को बुलाया गया था।

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