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राम-कथा ओंगना के शैल-चित्रों से भी पुरानी — तारन प्रकाश सिन्हा

एक हकीकत, कल्पना से परे..*

कभी-कभी कुछ ऐसा घटित हो जाता है कि सहसा विश्वास ही नहीं होता। यहां तक कि स्वयं की आंखों पर भी नहीं, स्वयं के विवेक पर भी नहीं, स्वयं के ज्ञान पर भी नहीं, यहां तक कि स्वयं की चेतना पर भी नहीं।
ऐसा कैसे हो सकता है भला, कि वैज्ञानिक रूप से हजारों साल प्राचीन प्रमाणित उन शैल-चित्रों में मैं दशानन रावण की स्पष्ट प्रतिछाया देख रहा था, और उस पर शर छोड़ते एक मानव आकृति को भी, भगवान राम को। एक महिला को भी, माता सीता को। वानरों को…
धर्मजयगढ़ प्रवास के दौरान लिखामाड़ा ग्राम ओंगना
धरमजयगढ़ से 07 किमी जाने का अवसर मिला। पहाड़ के ऊपर ओंगना के इन शैल-चित्रों की प्राचीनता कार्बन डेडिंग से साबित हो चुकी है। रोचक यह है कि ओंगना प्राचीन दक्षिण कोशल के उसी पथ पर स्थित है, जिसके बारे में जन-विश्वास है कि प्रभु श्री राम ने इसी पथ से होकर दंडकारण्य की ओर यात्रा की थी।…ओंगना आज भी दुर्गम है, वहां तक पहुंचना आज भी कठिन है।
अभी भी इस बात पर बहस चल रही है कि भगवान राम का अवतरण ऐतिहासिक रूप से कितने साल पुराना है, ऐसे में यदि ओंगना के शैल-चित्रों पर चित्रित राम-कथा का आश्रय लिया जाए तो एक ठोस अनुमान का रास्ता तो खुल ही जाता है, यानी राम-कथा ओंगना के शैल-चित्रों से भी पुरानी होनी चाहिए। यानी हजारों साल पुरानी।
इतिहास का जिज्ञासु और विद्यार्थी-मात्र होने के नाते मैं केवल देखे गए तथ्यों को ही आप लोगों के सामने रख रहा हूं, इस उम्मीद के साथ कि शोधार्थियों के लिए भी यह रोचक विषय होगा और वे हमारे लिए जरूर कुछ नया, तथ्यात्मक, ढूंढ निकालेंगे।
– तारन प्रकाश सिन्हा

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