नए साल में एमपी में मेट्रो का सफर भोपाल में सितंबर में पूरा होगा काम
MP के जिले में अगर सब कुछ ठीक रहा तो भोपाल मध्यप्रदेश का पहला शहर होगा, जिसमें 2023 में लोग यह लाइन सुन सकेंगे कि अगला स्टेशन एम्स है दरवाजे बाईं तरफ खुलेंगे कृपया दरवाजों से हटकर खड़े हों । नए साल में विधानसभा चुनाव से पहले भोपाल में मेट्रो ट्रेन दौड़ने लगेगी।
भोपाल और इंदौर में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट का काम तेजी से चल रहा है। भोपाल में पहले ट्रायल और लोकार्पण होगा, वहीं स्थानीय दिक्कतों के चलते इंदौर में तीन महीने बाद लोग मेट्रो की सवारी कर सकेंगे। इंदौर में दिसंबर 2023 तक मेट्रो का ट्रायल हो जाएगा।
मप्र मेट्रो ट्रेन कॉर्पोरेशन के एमडी मनीष सिंह ने पिछले दिनों कोच खरीदी, पटरियां बिछाने से लेकर अन्य महत्वपूर्ण टेंडरों को मंजूरी दी है। इंदौर और भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए 156 कोच की खरीदी की जाएगी, जिसमें से इंदौर के लिए 75 और भोपाल के लिए 81 कोच होंगे।
एम्स से सुभाष नगर के बीच 20% काम बाकी
मेट्रो का पहला रूट एम्स से करोंद तक कुल 16.05 किलोमीटर लम्बा है। इसमें से 6.22 किमी एम्स से सुभाष नगर के बीच का काम प्रायोरिटी कॉरिडोर के रूप में 2018 में शुरू हुआ था। इसका 80% से ज्यादा काम पूरा हो चुका है। 9 महीने में बाकी बचे 20% काम को पूरा करने का टारगेट है।
पिलर खड़े होने और गर्डर लॉन्चिंग के बाद मेट्रो कॉर्पोरेशन का पूरा फोकस डिपो और स्टेशन बनाने में है, क्योंकि इन्हीं में वक्त लगेगा। कोरोना के कारण काम रुका फिर भी इस साल सितंबर तक काम पूरा करने का दावा किया जा रहा है।
9 महीने में ये काम करने हैं पूरे
421 करोड़ रुपए से 8 स्टेशन एम्स से सुभाष नगर अंडरब्रिज तक आठ स्टेशन बनने हैं। ये स्टेशन एम्स, अलकापुरी, DRM ऑफिस, रानी कमलापति रेलवे स्टेशन, डीबी सिटी, एमपी नगर जोन-1, आयकर भवन और सुभाष नगर अंडरब्रिज में बन रहे हैं।
सुभाषनगर में स्टेशन का काम जमीन से ऊपर दिख रहा है। स्टेशन 100 मीटर लंबे और कम से कम 14 मीटर चौड़े होंगे। इनका 90% काम बाकी है। रानी कमलापति रेलवे स्टेशन और डीबी सिटी जैसे चहल-पहल वाले स्थानों पर फुटओवर ब्रिज (FOB) बनेंगे।
मेट्रो डिपो भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट का तीसरा बड़ा काम डिपो का है, जो 323 करोड़ रुपए से सुभाषनगर अंडरब्रिज के पास स्टड फॉर्म की 26.41 हेक्टेयर (65.26 एकड़) जमीन पर बनाया जा रहा है। यहां एक साथ 4 मेट्रो ट्रेन खड़ी हो सकेंगी। डिपो में अभी जमीनी स्तर पर ही काम चल रहा है। यहां न केवल मेट्रो का रखरखाव होगा, बल्कि कंट्रोलिंग सिस्टम भी यहीं होगा। सिग्नलिंग, कम्युनिकेशन, पावर सप्लाई सब कुछ यहीं से होगा।
सुभाष नगर से करोंद तक अंडरग्राउंड होगी मेट्रो एम्स से सुभाषनगर का रूट बनने के बाद सुभाष नगर से करोंद के बीच यानी बाकी के 9.83 किलोमीटर मेट्रो रूट का काम होगा। इस रूट पर 39 एकड़ से ज्यादा जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। अलग-अलग लोकेशन की लगभग 8 एकड़ जमीन पर 5 प्लाजा, 6 स्टेशन, 4 पार्किंग, 2 यार्ड बनेंगे।
पुराने शहर में अतिरिक्त पार्किंग व्यवस्था पर फोकस है। पुल बोगदा के पास मेट्रो का जंक्शन बनेगा, यहां दोनों लाइनें आकर मिलेंगी। पुल बोगदा से मेट्रो अंडरग्राउंड हो जाएगी। पहला अंडरग्राउंड स्टेशन मुख्य रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 6 की तरफ बनेगा। जहां ईरानी डेरे की जमीन ली गई है। नादरा बस स्टैंड का मेट्रो स्टेशन भी अंडरग्राउंड रहेगा।
ट्रैफिक पर्यावरण और इकोनॉमी के लिहाज से भरपूर प्रॉफिट
भोपाल में लोकल ट्रांसपोर्ट के लिए 352 सिटी बसें दौड़ रही हैं। इसके अलावा ऑटो, ई-रिक्शा और प्राइवेट व्हीकल अलग हैं। इतने व्हीकल होने से ट्रैफिक का भारी दवाब रहता है। कई जगह तो सुबह-शाम पीक ऑवर्स के समय जाम की स्थिति बन जाती है।
अकेले होशंगाबाद रोड पर पीक ऑवर्स के चार घंटों के दौरान 4 हजार से ज्यादा गाड़ियां चलती हैं। मेट्रो ट्रेन चलने से सड़क का ट्रैफिक कम हो जाएगा। इतना ही नहीं बढ़ते पेट्रोल के दाम के बीच मेट्रो पॉकेट फ्रेंडली होगी। वाहन कम होने से कम धुआं होगा, जिससे पर्यावरण की सेहत भी सुधरेगी।
इस साल ट्रायल आधे घंटे में गांधी नगर से रेडिसन तक का सफर
इंदौर मेट्रो ट्रेन प्रायोरिटी कॉरिडोर में गांधी नगर से लेकर रेडिसन-रोबोट चौराहे तक का काम तेजी से चल रहा है। इसकी लंबाई 17.2 किलोमीटर है, जिसमें 5.9 किमी का काम पहले पूरा होगा। 11.6 किमी का काम बाद में होगा। गांधी नगर से सुपर कॉरिडोर के बीच में 5 किलोमीटर रूट पर सितंबर 2023 में मेट्रो ट्रेन चलाकर ट्रायल किया जाएगा।
इस काम को जल्द से जल्द पूरा करने में फिलहाल अधिकारी जुटे हैं। सिविल कंस्ट्रक्शन के जनरल मैनेजर केसी चौहान ने बताया कि गांधी नगर से रेडिसन स्टेशन तक कुल 17.2 किमी के 16 स्टेशन हमारी प्राथमिकता है। गांधी नगर से सुपर कॉरिडोर तक 5 किलोमीटर में हम सितंबर 2023 तक 6 स्टेशन का काम काम पूरा कर लेंगे।
यह नॉन कॉमर्शियल सर्विस रहेगी। रेपर मेट्रो का ट्रायल होगा। ट्रायल के बाद 2024 में 16 स्टेशन से मेट्रो लोगों के लिए चालू करेंगे। उम्मीद है कि फरवरी-मार्च 2024 तक सबके लिए मेट्रो ट्रेन शुरू हो जाएगी। इसकी रफ्तार 70 किलोमीटर प्रति घंटे होगी।
एक स्टेशन की इतनी लागत मेट्रो के लिए 31.5 किलोमीटर रूट में 29 स्टेशन बनाए जा रहे हैं। एक स्टेशन की लागत 58 करोड़ है, जबकि अंडर ग्राउंड स्टेशन की लागत 190 करोड़ आ रही है। इसी तरह गांधीनगर में बनने वाले मेट्रो डिपो के लिए कुल 500 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
कोरोना के कारण हुई देरी कोरोना के कारण मेट्रो प्रोजेक्ट का काम धीमा चल रहा है। पहले 17.2 किलोमीटर के काम के लिए भी दो कंपनियों को ठेका दिया गया है। सुपर कारिडोर से एमआर-10 तक का काम ट्रेन विकास निगम कर रहा है, जबकि एमआर-10 से रोबोट चौराहे तक का काम दिलीप बिल्डकॉन को दिया गया है।
पहले प्रायोरिटी कॉरिडोर में होना था ट्रायल
पहले 17.5 किमी के प्रायोरिटी कॉरिडोर में ट्रायल रन होना था, लेकिन काम की धीमी रफ्तार और अलाइमेंट संबंधित दिक्कतों को देखते हुए इसमें बदलाव कर दिया है, हालांकि इस पूरे रूट पर काम चल रहा है। ट्रायल के भी कम से कम 5 से 6 महीने बाद यात्री मेट्रो ट्रेन में सफर कर सकेंगे।
अधिकारियों के अनुसार अगले महीने जनवरी से कोलकाता की कंपनी पटरी बिछाने का काम शुरू कर देगी। ट्रायल रन में तीन कोच की ट्रेन चलेगी। जुलाई में ट्रायल के लिए ट्रेन भी आ जाएगी। वहीं मेट्रो ट्रेन की पटरी सामान्य ट्रेन की पटरी से अलग होती है। इसमें गिट्टी का उपयोग नहीं होता है, इसलिए पटरी बिछाने के लिए दूसरी तैयारी करनी होती है।
कहीं अंडरग्राउंड तो कहीं एलिवेटेड का विरोध
इंदौर में अभी मेट्रो के पहले चरण का काम चल रहा है। रोबोट चौराहे से आगे दूसरे चरण का काम शुरू होगा, जिसमें खजराना, बंगाली चौराहा, कनाड़िया रोड, पलासिया, एमजी रोड, रीगल, कोठारी मार्केट, राजवाड़ा, बड़ा गणपति, रामचंद्र नगर, एयरपोर्ट शामिल है। शहर के मध्य क्षेत्र के व्यापारी मेट्रो के प्रस्तावित रूट का विरोध कर रहे हैं।
कोठारी मार्केट में व्यापारी अंडरग्राउंड मेट्रो का विरोध कर रहे हैं। एमजी रोड के व्यापारी इसे एलिवेटेड करने के खिलाफ हैं। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और सांसद सुमित्रा महाजन की ओर से कुछ सुझाव इस संबंध में दिए थे, जिसमें मेट्रो को रेसकोर्स रोड से ले जाते हुए सुभाष मार्ग से ले जाने की बात है। यहां अंडर ग्राउंड होने से दिक्कत नहीं होगी। इससे बाजार, व्यापार और राजवाड़ा सब बच जाएगा।
कमलनाथ ने बताया था कैसे आया मेट्रो का आइडिया
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इंदौर में मेट्रो रेल परियोजना का शिलान्यास किया था। तब उन्होंने कहा था कि मैं मेट्रो के कायर्क्रम में शामिल होने जयपुर गया था। उस समय मैं केंद्र में मंत्री था। यहां मेरे मन में विचार आया कि मध्यप्रदेश में मेट्रो को लेकर कोई चर्चा ही नहीं है।
इसके बाद लौटकर मैंने उस समय भाजपा सरकार में मंत्री रहे बाबूलाल गौर से भोपाल और एक अन्य शहर के लिए मेट्रो की डीपीआर बनाने काे कहा। उन्होंने कहा कि इस पर काफी खर्च आएगा, इस पर मैंने कहा कि खर्च की चिंता ना करें। इसके बाद डीपीआर बनी, लेकिन अब तक वे कागज दबे रह गए। मप्र में हमारी सरकार आने पर मैंने मंत्री जयवर्धन सिंह से इस पर काम करने को कहा।