राहुल से पहले इंदिरा गांधी से भी खाली करवाया जा चुका है सरकारी बंगला
मोदी सरकार की तरह मोरारजी ने भी उठाए थे कड़े कदम
राहुल गांधी से पहले उनकी दादी इंदिरा गांधी से भी बंगला खाली करवाया गया था ये बात उस समय की है, जब मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार ने इंदिरा गांधी से 1 सफदरजंग रोड वाला बंगला खाली करवाने की ठान ली थी।
राहुल की तरह इंदिरा के पास भी तब कोई घर नहीं था।
सागरिका घोष ने अपनी किताब, “इंदिरा : इंडियाज मोस्ट पावरफुल प्राइम मिनिस्टर” में इस बात का विस्तार से जिक्र किया है कि कैसे फिरोज़ गांधी के महरौली वाले प्लॉट में सरकार मेटल डिटेक्टर लगाकर सोना-चांदी की तलाश में खुदाई कर रही थी, लेकिन मिला कुछ भी नहीं।
आखिर, इंदिरा गांधी को 1 सफदरजंग रोड वाला बंगला भी खाली करना पड़ा।
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी ने इस संदर्भ पर अपनी आत्मकथा “जीवन जैसा जीया” में लिखा है –
“मैं सीधे मोरारजी भाई के यहां गया। उनका रुख समझना चाहा। उन्हें बताया कि आशंका है कि सरकार इंदिरा गांधी की सुरक्षा हटा रही है, मकान खाली करवा रही है।
मैंने उनसे कहा कि लोगों में गुस्सा है। कुछ कर देंगे तो आप पर मुश्किल आएगी। मैंने उनसे पूछा कि क्या आप उनको मकान भी नहीं देंगे?
मोरारजी भाई ने कहा कि नहीं देंगे, नियम में नहीं आता। मैंने उन्हें बताया कि जाकिर हुसैन, लाल बहादुर शास्त्री, ललित नारायण मिश्र आदि के परिवार को मकान मिला हुआ है।
मोरारजी भाई ने कहा कि उनका भी कैंसिल कर दूंगा। मैंने उनसे कहा कि जिस परिवार ने स्वराज भवन और आनंद भवन देश को दे दिया। जो महिला 13 साल प्रधानमंत्री रहीं, उसको रहने के लिए आप मकान तक नहीं देंगे?”
जनता सरकार 2 वर्ष में ही अलोकप्रियता का पर्याय बन गयी। उसे सत्ता से बुरी तरह बाहर जाना पड़ा।
फिर मोरारजी भाई के करम उनका पीछा करते हुए मुंबई के मरीन ड्राइव की ओशेनिया बिल्डिंग तक आ पहुंचे।
मोरारजी भाई किराए के उस फ्लैट में रहने लगे। कुछ समय बाद मकान मालकिन ने फ्लैट खाली करवाना चाहा तो मोरारजी भाई ने मना कर दिया।
महिला कोर्ट जा पहुंची। जीत भी गई। अब फ्लैट खाली करना ही था।
मोरारजी भाई भी नरेंद्र मोदी की तरह गुस्सैल और अहंकारी थे।
उन्होंने फ्लैट के खिड़की, दरवाजे, पंखे, लाइट और यहां तक कि वायरिंग भी उखाड़ दी।
लेकिन, इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी ने मां के अपमान को भूलकर मोरारजी भाई के लिए कफ परेड में सरकारी फ्लैट आवंटित किया।
संस्कार खानदानी होते हैं। आपके कर्म उससे जुड़े हैं। कर्म इंसान का आखिर तक पीछा करते हैं। दूसरों को बेघर करने वालों को मकां नहीं मिलता।
* ये लेख सौमित्र राय की fb वाल से लिया गया है