CG News : छत्तीसगढ़ में भाजपा को बड़ा झटका, दिग्गज नेता नंद कुमार साय ने थामा कांग्रेस का हाथ
Chhattisgarh News : (vande matram) raipur .Chhattisgarh विधानसभा चुनाव से पहले bjp को बड़ा झटका लगा है। दरअसल प्रदेश के दिग्गज नेता नंद कुमार साय ने congress का दामन थाम लिया है। उन्होंने cm भूपेश बघेल, पीसीसी चीफ मोहन मरकाम की मौजूदगी में congress की सदस्ता ली है। बता दें कि एक दिन पहले उन्होंने bjp से इस्तीफा दे दिया था और इस दौरान उन्होंने bjp पर उपेक्षा करने का आरोप लगाया था।
cm भूपेश बघेल पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम साय को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई है। राजीव भवन में वन मंत्री मो अकबर,प्रेमसाय सिंह टेकाम, अनिला भेड़िया, सत्यनारायण शर्मा समेत कई नेता मौजूद हैं।
रविवार को bjp से इस्तीफा देने के बाद आज congress में शामिल हो गए। भूपेश बघेल ने कहा,आज अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस है। और ऐसे समय में जिन्होंने गरीबों और आदिवासियों के लिए संघर्ष किया। ऐसे नंद कुमार साय आज congress में शामिल हुए हैं। इसलिए उन्हें बधाई देता हूं।
आदिवासी नेता साय ने अपने इस्तीफे में लिखा है, मुझ पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। मेरी गरिमा को लगातार ठेस पहुंचाई जा रही है, जिससे मैं आहत महसूस कर रहा हूं। उन्होंने अपना इस्तीफा स्वीकार करने का आग्रह करते हुए कहा था कि बहुत गहराई से विचार करने के बाद मैंने bjp में अपने सभी पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया।
चार दशक से ज्यादा पुराना नाता बीजेपी से तोड़ा
तीन बार के लोकसभा सांसद और तीन बार के विधायक साय पूर्व में Chhattisgarh और अविभाजित madhya pradesh दोनों में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। साय ने अपने त्यागपत्र में आरोप लगाया कि उनके सहयोगी साजिश रच रहे थे। और उनकी छवि खराब करने के लिए झूठे आरोप लगा रहे थे। जिससे उन्हें बहुत दुख हुआ।
नंदकुमार साय का राजनीतिक सफर
bjp के प्रमुख आदिवासी चेहरा एवं उत्तरी Chhattisgarh से ताल्लुक रखने वाले साय पहली बार 1977 में madhya pradesh में तपकरा सीट (अब जशपुर जिले में) से जनता पार्टी के विधायक चुने गए थे। वह 1980 में bjp की रायगढ़ जिला इकाई के प्रमुख चुने गए। और 1985 में तपकरा से bjp विधायक चुने गए।
- छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय
- 1977 में पहली बार विधायक बने
- Chhattisgarh के पहले नेता प्रतिपक्ष रहे
- 2 बार राज्यसभा सदस्य रहे
- 3 बार लोकसभा सदस्य रहे
- 3 बार विधायक रहे हैं
- Chhattisgarh bjp के अध्यक्ष रहे चुके हैं
- अविभाजित madhya pradesh के bjp के अध्यक्ष
- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रहे
- Chhattisgarh में bjp संगठन को खड़ा करने में अहम भूमिका
1989, 1996 और 2004 में रायगढ़ से लोकसभा सदस्य और 2009 और 2010 में राज्यसभा सदस्य चुने गए। साय 2003-05 तक Chhattisgarh bjp अध्यक्ष और 1997 से 2000 तक madhya pradesh bjp प्रमुख रहे।नवंबर 2000 में madhya pradesh अलग होकर Chhattisgarh राज्य बनने के बाद वे Chhattisgarh विधानसभा में विपक्ष के पहले नेता बने। साय 2017 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष बने।
सरगुजा की राजनीति पर पड़ेगा असर
नंदकुमार साय के भाजपा छोड़ने का असर सरगुजा की राजनीति पर पड़ेगा। साय सरगुजा से वर्ष 2004 में सांसद रहे। इससे पहले साय 1989 और 1996 में रायगढ़ लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं। वर्तमान में सरगुजा संभाग की 14 विधानसभा सीट में से एक पर भी भाजपा के विधायक नहीं हैं।