भोपाल के छात्र ने प्रधानमंत्री से पूछा सवाल: पीएम मोदी ने सुनाई पुराने दिनों की कहानी
भोपाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में देशभर के स्टूडेंट्स से ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम में बात की। दो घंटे तक चले इस प्रोग्राम में मोदी ने परीक्षा और जीवन में तनाव को लेकर बच्चों के सवालों के जवाब दिए। एक छात्र ने पीएम से पूछा कि ‘एग्जाम में परिवार की निराशा से कैसे निपटूं’, उन्होंने इस बारे में भी छात्रों को टिप्स दिए।
भोपाल की रितिका गोड़के भी दिल्ली में हुए इस कार्यक्रम में शामिल हुईं। वे 12वीं की स्टूडेंट हैं और शासकीय सुभाष माध्यमिक विद्यालय स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में पढ़ती हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछा- हम अधिक से अधिक भाषाएं कैसे सीख सकते हैं? प्रधानमंत्री ने रितिका के सवाल का जवाब काफी विस्तार से दिया, इस दौरान उन्होंने अपने पुराने दिनों का एक किस्सा भी सुनाया।
प्रधानमंत्री ने जवाब में कहा
विदेशी से हिंदी सुनकर कान सचेत हो जाते हैं…
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- भारत विविधताओं से भरा हुआ देश है। हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि हमारे पास सैकड़ों भाषाएं हैं। हजारों बोलियां हैं। यह हमारी समृद्धि है। हमें अपनी इस समृद्धि पर गर्व होना चाहिए। कोई विदेशी व्यक्ति हमें मिल जाए और उसे पता चले कि आप इंडिया से हैं, अगर वह थोड़ा सा भी भारत से परिचित होगा- आपको नमस्ते बोलेगा। जैसे ही वो यह बोलेगा आपके कान सचेत हो जाते हैं। अपनापन महसूस होने लगता है कि एक विदेशी हिंदी बोलता है। कम्युनिकेशन एक बहुत बड़ी ताकत है। इसका एक योगदान है।
भाषा अनुभवों का निचोड़, बिना बोझ सीखना चाहिए…
मन लगाकर अपने अड़ोस-पड़ोस के राज्य की एक-दो भाषा सीखने में क्या जाता है। कोशिश करना चाहिए। हम भाषा सीखते हैं, इसका मतलब बोलचाल के कुछ वाक्य सीख जाना ही नहीं है। अनुभवों का निचोड़ जो होता है, एक-एक भाषा की जब अभिव्यक्ति शुरू होती है, तो उसके पीछे हजारों साल की अविरक्त, अखंड, अविचल एक धारा होती है। अनुभव की धारा होती है। उतार-चढ़ाव की धारा होती है। संकटों का सामना करते हुए निकली हुई धारा होती है। तब जाकर के एक भाषा अभिव्यक्ति का रूप लेती है। हम जब एक भाषा को जानते हैं, तब आपके लिए हजारों साल पुरानी उस दुनिया में प्रवेश करने का द्वार खुल जाता है। इसलिए बिना बोझ हमें दूसरी भाषा सीखनी चाहिए।
विश्व की सबसे पुरातन भाषा तमिल हमारे पास…
हमारे देश में कहीं पर कोई अच्छा स्मारक हो पत्थर का, कोई हमें कहे कि यह 2000 साल पुराना है, तो हमें गर्व होता है कि नहीं होता है। किसी को भी गर्व होगा। फिर ये विचार नहीं आता कि किस कोने में है। मुझे बताइए, दुनिया की सबसे पुरातन भाषा जिस देश के पास हो, उस देश को गर्व होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए। सीना तानकर दुनिया को कहना चाहिए कि विश्व की सबसे पुरातन भाषा हमारे पास है। हमारी तमिल भाषा दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है। इतनी बड़ी अमानत और गौरव इस देश के पास है। पिछली बार जब यूएन में मेरा भाषण था, तब जानबूझकर मैंने कुछ तमिल शब्द बोले, क्योंकि मैं दुनिया को बताना चाहता था कि मुझे गर्व है दुनिया की सबसे पुरानी भाषा मेरे देश की है।
दूसरी राज्यों की भाषा सीखकर आपको आनंद आएगा…
हमें गर्व करना आना चाहिए। अब देखिए, बड़े आराम से उत्तर भारत का व्यक्ति डोसा खाता है। सांभर भी बड़े मजे से खाता है। तब तो उसको उत्तर-दक्षिण कुछ नजर नहीं आता। दक्षिण में जाइए आप, तब वहां पराठा-सब्जी भी मिल जाती है, पूरी भी मिल जाती है। बड़े चाव से लोग खाते हैं। कोई तनाव-रुकावट नहीं होती। हर किसी को कोशिश करना चाहिए कि मातृभाषा के अलावा दूसरे राज्य की भाषा, कुछ सेंटेंस आने चाहिए। आप देखिएगा आपको आनंद आएगा, जब दूसरे राज्य के व्यक्ति से मिलोगे और दो वाक्य भी उसकी भाषा में बोलेगे, तो उसे अपनापन महसूस होगा।
बहुत साल पहले की बात है। जब मैं सामाजिक काम में लगा था। अहमदाबाद में एक मजदूर परिवार था। मैं कभी उनके यहां भोजन के लिए जाता था। वहां एक बच्ची कई भाषाएं बोलती थी। क्योंकि, वो मजदूरों की कॉलोनी थी। कॉस्मोपॉलिटन थी। उसकी मां केरल और पिता बंगाल से थे। कॉस्मोपॉलिटन होने की वजह से वहां हिंदी चलती थी। बगल का एक परिवार मराठी था। स्कूल में गुजराती थी। मैं हैरान था वो 7-8 साल की बच्ची फर्राटेदार बंगाली, मराठी, मलयालम और हिंदी बोलती थी। घर में अगर पांच लोग बैठे हैं, इससे बात करनी है तो मलयालम में करेगी, इससे बात करनी है तो हिंदी में करेगी, इससे बात करनी है तो बंगाली में करेगी…। उसकी प्रतिभा खिल रही थी। इसीलिए, मेरा आपसे आग्रह है कि हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए। हर भाषा पर गर्व होना चाहिए।
मोदी के स्पीच की बाकी बड़ी बातें
ज्यादा से ज्यादा भाषाएं सीखें: कम्युनिकेशन एक बहुत बड़ी शक्ति है। जैसे हम सोचते हैं पियानो या तबला सीखूं, ऐसे ही अपने पड़ोस के किसी राज्य की एक भाषा भी सीखनी चाहिए।
- तनाव से बचने के लिए सामर्थ्य पर ध्यान दें: प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि हम अपने सामर्थ्य पर ध्यान देते हैं, तो तनाव नहीं होता।
- गैजेट्स का गुलाम न बनें: सबसे पहले तो ये निर्णय करना है कि आप स्मार्ट हैं या फिर गैजेट्स स्मार्ट हैं। कभी-कभी लगता है कि आप अपने से ज्यादा गैजेट्स को स्मार्ट मानते हैं। यकीन करिए परमात्मा ने आपको बहुत सी शक्तियां दी हैं। गैजेट्स को केवल आगे बढ़ने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।
- अपने लक्ष्य पर फोकस रखें: संसद में विपक्ष के लोग साइकोलॉजी जानते हैं, इसलिए जानबूझकर ऐसी बात छेड़ देते हैं कि हम अपना विषय छोड़कर उसका जवाब देने में लग जाते हैं। हमें बस अपने लक्ष्य पर फोकस रखना चाहिए। आलोचना बहुत मुश्किल काम है। ऐसे में लोग शॉर्टकट अपनाते हैं और आरोप लगाते हैं। दोनों में बहुत फर्क है। हम आरोपों पर ध्यान न दें, मगर आलोचना को अपने लिए जरूरी समझें।
- शिक्षकों को सलाह दी: प्रधानमंत्री ने शिक्षकों से कहा कि स्टूडेंट जब कोई सवाल पूछता है तो वह आपकी परीक्षा नहीं लेना चाहता, यह उसकी जिज्ञासा है। किसी भी जिज्ञासु बच्चे को टोकें नहीं। अगर जवाब नहीं भी आता है तो उसे प्रोत्साहित करें कि तुम्हारा प्रश्न बहुत अच्छा है। इसका जवाब मैं तुम्हें कल दूंगा और इस दौरान मैं खुद इसका जवाब ढूंढूंगा।
15 फरवरी से शुरू होंगे CBSE 10वीं-12वीं बोर्ड के एग्जाम
इस साल CBSE की 10वीं और 12वीं के बोर्ड एग्जाम 15 फरवरी से शुरू होंगे। 10वीं का लास्ट पेपर 21 मार्च को और 12वीं का लास्ट पेपर 5 अप्रैल को होगा। इस बार करीब 34 लाख से अधिक छात्रों ने 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। दिसंबर में CBSE ने 10वीं और 12वीं के बोर्ड एग्जाम की डेटशीट जारी कर दी थी।